मैं रिश्तों के समंदर में, यूँ ऐसा डूब बैठा हूँ 
मैं जिसको जान कहता था, उसी से रूठ बैठा हूँ 
अकेला पड़ चुका हूँ मैं, मेरी हस्ती बची इतनी
किसी से दिल लगा के, आज दिल से टूट बैठा हूँ 

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